क्रीमी लेयर बनाने का अधिकार राज्यों को नहींःसुप्रीम कोर्ट

ओबीसी में क्रीमी लेयर को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत का एक बड़ा फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा है कि राज्यों को सिर्फ आर्थिक आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में ‘क्रीमी लेयर’ बनाने का अधिकार नहीं है।

जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” जैसे-जैसे यूपी विधानसभा चुनाव की मियाद नजदीक आ रही है इस नारे की गूंज और प्रखर होती जा रही है। मोदी सरकार की ओर से ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने की कवायद से एक के बाद एक उठाए गए कदमों के बाद एक पुराना जिन्न बोतल से बाहर निकल आया। ओबीसी वोट बैंक को रझाने के लिए तमाम राज्यों की तरफ से भी किस्म-किस्म की कवायदें की जा रही हैं। लेकिन अब ओबीसी में क्रीमी लेयर को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत का एक बड़ा फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा है कि राज्यों को सिर्फ आर्थिक आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में ‘क्रीमी लेयर’ बनाने का अधिकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि राज्यों को केवल आर्थिक आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में क्रीमी लेयर बनाने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से हरियाणा सरकार की साल 2016 में जारी अधिसूचना को खारिज कर दिया गया। इसके साथ ही कोर्ट ने खट्टर सरकार को क्रीमी लेयर को फिर से परिभाषित करने के लिए कहा है।

इंदिरा साहनी मामले का किया जिक्र 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अधिसूचना, इंदिरा साहनी मामले में कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ है। इंदिरा साहनी मामले में कोर्ट ने आर्थिक, सामाजिक और अन्य आधारों पर ‘क्रीमी लेयर’ बनाने के लिए कहा था।दरअसल, साल 1991 में पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने आर्थिक आधार पर सामान्य श्रेणी के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने का आदेश जारी किया था। जिसे इंदिरा साहनी ने न्यायालय में चुनौती दी थी। इंदिरा साहनी में नौ जजों की बेंच ने कहा था कि आरक्षित स्थानों की संख्या कुल उपलब्ध स्थानों के 50 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के इसी ऐतिहासिक फैसले के बाद से कानून बना था कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता। । सुप्रीम कोर्ट के इसी ऐतिहासिक फैसले के बाद से कानून बना था कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

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