पंजाब कांग्रेस में चल रहे विवाद को समाप्त करने के लिए राहुल गांधी पर्दे के पीछे से काम कर रहे
नई दिल्ली, कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब कांग्रेस में चल रहे विवाद को समाप्त करने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसके लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी पर्दे के पीछे से मोर्चा संभाल लिया है। मल्लिकार्जुन खड़गे, हरीश रावत, जेपी अग्रवाल की समिति ने सोमवार को दिल्ली में पंजाब के विधायकों के साथ अलग-अलग बैठक की। मंगलवार को नवजोत सिंह सिद्धू ने कमेटी के सामने अपना पक्ष रखा। कैप्टन अमरिंदर सिंह के भी जल्द ही कमेटी से मिलने की उम्मीद है।
विधायकों को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जा रहा है,जबकि बैठक से निकलने के बाद नेता खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ समेत ज्यादातर विधायकों ने कहा कि यह मतभेद का मामला है जिसे बातचीत से सुलझा लिया जाएगा, लेकिन अधिकांश विधायकों ने समिति के समक्ष गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का मुद्दा उठाया और तत्काल कार्रवाई की मांग की। यह सिलसिला अगले तीन से चार दिनों तक जारी रह सकता है।
उधर, राहुल गांधी इस विवाद को लेकर पर्दे के पीछे से सक्रिय हैं। सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में राहुल ने पंजाब के एक दर्जन से ज्यादा विधायकों से फोन पर बात की है। बैठक के लिए दिल्ली पहुंचे विधायक संगत सिंह गिलजियान ने माना कि राहुल गांधी का फोन उनके पास भी आया था। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या बातचीत हुई। जबकि पंजाब के एक अन्य वरिष्ठ विधायक ने एएनआइ को बताया कि राहुल गांधी राज्य की स्थिति का बहुत बारीकी से जायजा ले रहे हैं और उनसे बात करते हुए राहुल गांधी ने उनकी शिकायतों को गंभीरता से सुना और मुद्दों के पीछे के कारणों को जानने की कोशिश की।
पंजाब विधानसभा चुनाव से आठ महीने पहले कांग्रेस के नेताओं के बीच सत्ता की लड़ाई चल रही है, लेकिन, मुद्दा गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का बना दिया गया है। हाल ही में उच्च न्यायालय ने 2015 में फरीदकोट में प्रदर्शनकारियों पर गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने की घटना की जांच के लिए बनाई गई विशेष जांच टीम (एसआईटी) की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। पिछले विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर समेत पूरी कांग्रेस ने इस मामले में सुखबीर बादल को जिम्मेदार ठहराया था। अब साढ़े चार साल बाद भी बादल के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
इस मुद्दे पर उपेक्षित रहे नवजोत सिंह सिद्धू सहित कई कांग्रेसी नेताओं को कैप्टन अमरिंदर सिंह से भिड़ने का मौका मिला। अचानक कैप्टन और सिद्धू के बीच खुली बयानबाजी शुरू हो गई। इसके बाद कांग्रेस आलाकमान हरकत में आया और पार्टी में मामले को सुलझाने की कवायद शुरू हुई। ऐसा लग रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की स्थिति को फिलहाल कोई खतरा नहीं है, लेकिन यह संदेह है कि पार्टी अगला चुनाव उनके चेहरे पर ही लड़ेगी। कांग्रेस-नेतृत्व को भी एक नया प्रदेश अध्यक्ष चुनना होगा जो सभी गुटों को स्वीकार्य हो। समिति के गठन के बाद से बयानबाजी बंद हो गई है, लेकिन ऐसा लगता है कि समाधान खोजना अभी भी एक जटिल काम है।