परिवहन विभाग की लापरवाही से लगा करोड़ों का चूना

उत्तराखंड परिवहन विभाग की एक लापरवाही से करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो गया। अब सचिव परिवहन ने सख्ती की तो विभाग के अधिकारियों को नियमों की याद आई। अब आनन-फानन में विभागीय अधिकारी पूरी आंकड़े दुरुस्त करने में जुट गए हैं। दरअसल, यह मामला है उत्तराखंड में यूपी व अन्य राज्यों से आने वालीं बसों का। राज्यों के बीच जितनी बसें तय हुई हैं, उससे कई गुना अधिक बसें आ रही हैं। हैरत की बात यह है कि जब दो दिन पहले आईएसबीटी पहुंचे सचिव परिवहन डॉ.रंजीत सिन्हा ने अधिकारियों से पूछा कि यूपी की कितनी बसें उत्तराखंड आ रही हैं तो वह कोई जवाब नहीं दे पाए। इससे सचिव बेहद नाराज हुए।

उन्होंने अधिकारियों को फटकार लगाई। न केवल यूपी बल्कि पंजाब व अन्य राज्यों से भी निर्धारित से अधिक बसें उत्तराखंड पहुंच रही हैं। हाल ही में परिवहन विभाग ने पंजाब को नोटिस भी जारी किया था। सचिव की नाराजगी के बाद से परिवहन विभाग के अधिकारियों में हड़कंप है। वह दिनरात एक करके यूपी व अन्य राज्यों से आने वाली बसों के आंकड़े जुटाने में लगे हुए हैं। बसों की सही गणना न होने की वजह से उन राज्यों से टैक्स भी नहीं आ पाया। केवल उन्हीं बसों का टैक्स आ रहा है, जिनका संचालन निर्धारित है।

उत्तराखंड हर साल देता है 30 करोड़
उत्तराखंड की रोडवेज बसें यूपी व अन्य राज्यों में संचालित होती हैं। इसके एवज में परिवहन निगम हर साल करीब 30 करोड़ रुपये टैक्स का भुगतान करता आ रहा है। इसमें करीब 24 करोड़ रुपये का टैक्स यूपी को जाता है जबकि करीब छह करोड़ रुपये का टैक्स अन्य राज्यों को जाता है।

 

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