तालिबान ने पंजशीर घाटी पर कब्जा करने का दावा किया

तालिबान ने अफगानिस्तान के बड़े-बड़े हिस्सों पर कब्जा कर लिया है लेकिन पंजशीर अब भी उसकी पहुंच से बाहर है। तालिबानी काफी प्रयार कर चुके हैं पंजशीर पर कब्जा करने का लेकिन वह प्रयास विफल रहे। आखिरी बार जब उन्होंने पंजशीर घाटी पर हमला किया था तब तालिबान के 350 से ज्यादा लड़ाके मारे गये थे। तालिबान लगातार पंजशीर पर हमला करके उस पर कब्जा करने का प्रयास कर चुका है। ताजा जानकारी के अनुसार तालिबान से जुड़े सूत्रों ने कहा कि इस्लामिक मिलिशिया ने शुक्रवार को अफगानिस्तान के अंतिम प्रांत काबुल के उत्तर में पंजशीर घाटी पर कब्जा कर लिया था, हालांकि एक प्रतिरोध नेता ने इस बाद का तुरंत खंडन भी कर दिया है कि पंजशीर पर किसी का कोई कब्जा नहीं हुआ है।

एक तालिबान कमांडर ने कहा, सर्वशक्तिमान अल्लाह की कृपा से, हम पूरे अफगानिस्तान के नियंत्रण में हैं। पंजशीर घाटी के सुप्रीमो को हरा दिया गया है और पंजशीर अब हमारे अधीन है। काबुल में जश्न की गोलियों की गगनभेदी आवाज़ें गूंज उठीं और फ़ेसबुक अकाउंट पंजशीर के पतन के उल्लेखों से भरे हुए थे।

अभी तक इन रिपोर्टों की पुष्टि करना संभव नहीं है जब तक कोई अधिकारिक बयान न दर्ज कर दिया जाए लेकिन अगर ये सच हुआ तो तालिबान को अफगानिस्तान पर पूर्ण नियंत्रण मिल जाएगा और वह बिना किसी विरोध के अपनी सरकार का पूरे वर्चस्व के साथ शासन करेगा। इससे पहले भी अफगानिस्तान पर तालिबानी राज कर चुके हैं। उन्होंने पहली बार 1996 और 2001 के बीच देश पर शासन किया था लेकिन अमेरिकी सैन्य बल अफगानिस्तान में तैनात होने के बाद तालिबान 20 सालों से अधिक समय तक सरकार में नहीं रहा।

तालिबान का देश में रह कर विरोध कर रही ताकतों के नेताओं में से एक, पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने कहा कि उनके पक्ष ने हार नहीं मानी है। बीबीसी वर्ल्ड के एक पत्रकार द्वारा ट्विटर पर पोस्ट की गई एक वीडियो क्लिप पर उन्होंने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम एक मुश्किल स्थिति में हैं। हम पर तालिबान का हमला हो रहा है उन्होंने हमारी कई जगहों पर कर लिया है और हम लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। कई अन्य विरोधी नेताओं ने भी पंजशीर के पतन की रिपोर्टों को खारिज कर दिया, जहां क्षेत्रीय मिलिशिया के हजारों लड़ाके और पुरानी सरकार की सेना के अवशेष एकत्र हुए थे।

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