अफगानिस्तान में सरकार बनाने की कवायत शुरू
तालिबान ने अफगानिस्तान का झण्डा बदला
पेशावर। अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने के दो हफ्ते बाद शुक्रवार को तालिबान देश में सरकार बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार की नमाज के बाद तालिबान सरकार बनाएगा। 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान को अपने नियंत्रण में ले लिया था। इस्लामिक आतंकवादी समूह सहित तालिबानी लड़ाको ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अपनी जीत की खुशी मनाई, दशकों के युद्ध के बाद देश में अपनी हुकूमत और सुरक्षा लाने की अपनी प्रतिज्ञा दोहराई। तालिबान, जिसने इस सप्ताह अमेरिकी सेना की वापसी से पहले देश पर नियंत्रण कर लिया था, अब एक ऐसे राष्ट्र पर शासन करने की उम्मीद कर रहा है जो अंतरराष्ट्रीय सहायता पर बहुत अधिक निर्भर है और एक बिगड़ते आर्थिक संकट के बीच है।
अंतरराष्ट्रीय दाताओं और निवेशकों की नजर में नई सरकार की वैधता अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण होगी क्योंकि देश सूखे और एक संघर्ष की तबाही से जूझ रहा है जिसने अनुमानित 240,000 अफगानों की जान ले ली है। तालिबान ने सभी विदेशी और अफगानी नागरिकों के लिए देश से सुरक्षित मार्ग की अनुमति देने का वादा किया है। इस समय अफगानिस्तान में बहुत से ऐसे लोग है जिनका एयरलिफ्ट नहीं किया जा सका है। अफगानिस्तान से सभी ने एयरलिफ्ट अंतिम अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ समाप्त कर दिया। काबुल हवाईअड्डा अभी भी बंद होने के कारण, कई लोग जमीन से भागकर पड़ोसी देशों में जाने की कोशिश कर रहे थे।
तालिबान काबुल में ईरान की तर्ज पर नई सरकार के निर्माण की घोषणा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। समूह के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा है कि तालिबान के सबसे बड़े धार्मिक नेता मुल्ला हेबतुल्ला अखुंदजादा को अफगानिस्तान का सर्वोच्च नेता बनाया जाएगा। तालिबान के ‘सूचना एवं संस्कृति आयोग’ के वरिष्ठ अधिकारी मुफ्ती इनामुल्ला समांगनी ने बुधवार को कहा, “नई सरकार बनाने पर बातचीत लगभग अंतिम दौर में है और मंत्रिमंडल को लेकर भी चर्चा हुई।”
उन्होंने कहा कि अगले तीन दिन में काबुल में नई सरकार बनाने के लिए समूह पूरी तरह तैयार है। नई सरकार में 60 वर्षीय मुल्ला अखुंदजादा तालिबान सरकार के सर्वोच्च नेता होंगे। ईरान में नेतृत्व की तर्ज पर यह व्यवस्था की जाएगी जहां सर्वोच्च नेता देश का सबसे बड़ा राजनीतिक और धार्मिक प्राधिकारी होता है। उसका पद राष्ट्रपति से ऊपर होता है और वह सेना, सरकार तथा न्याय व्यवस्था के प्रमुखों की नियुक्ति करता है। देश के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों में सर्वोच्च नेता का निर्णय अंतिम होता है। समांगनी ने कहा, “मुल्ला अखुंदजादा सरकार के सर्वोच्च नेता होंगे और इस पर कोई सवाल नहीं होना चाहिए।” उन्होंने संकेत दिया कि राष्ट्रपति अखुंदजादा के अधीन काम करेंगे।
मुल्ला अखुंदजादा तालिबान के सबसे बड़े धार्मिक नेता हैं और पिछले 15 साल से बलूचिस्तान प्रांत के कचलाक क्षेत्र में स्थित एक मस्जिद में कार्यरत हैं। समांगनी ने कहा कि नई सरकार के तहत, गवर्नर प्रांतों के प्रमुख होंगे और ‘जिला गवर्नर’ अपने जिले के प्रभारी होंगे। तलिबान ने पहले ही प्रांतों और जिलों के लिए गवर्नरों, पुलिस प्रमुखों और पुलिस कमांडरों की नियुक्ति कर दी है। उन्होंने कहा कि नई प्रशासन प्रणाली का नाम, राष्ट्रीय झंडा और राष्ट्र गान पर अभी फैसल लिया जाना बाकी है। इस बीच दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय में उप नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने बृहस्पतिवार को विदेशी मीडिया चैनलों को बताया कि नई सरकार में अफगानिस्तान के सभी कबीलों के सदस्यों और महिलाओं को शामिल किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “जो कोई भी पिछले 20 साल में अफगानिस्तान में पूर्ववर्ती सरकारों में शामिल था उसे नए तालिबान प्रशासन में जगह नहीं मिलेगी।” उन्होंने कहा कि मुल्ला अखुंदजादा कंधार से सरकार का कामकाज देखेंगे। उन्होंने कहा कि तालिबान यूरोपीय संघ, अमेरिका और भारत से दोस्ताना संबंध चाहता है तथा इसके लिए दोहा में तालिबान का राजनीतिक कार्यालय विभिन्न देशों के संपर्क में है। स्तानिकजई ने कहा कि अगले 48 घंटे में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर परिचालन शुरू हो जाएगा और वैध दस्तावेजों के साथ आए लोगों को देश छोड़ने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डे की मरम्मत के लिए ढाई से तीन करोड़ अमेरिकी डॉलर का खर्च आयेगा।