तालिबान में जुटने लगें हैं दुनियां के मोस्ट वांटेड आतंकवादी
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद कभी ओसामा बिन लादेन का सिक्योरिटी चीफ रहा अमीन उल हक लौट आया है। अमिन उल हक अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत लौटा है। वो तोराबोरा में लादेन का सुरक्षा प्रमुख था जिस बात की आशंका जताई जा रही थी कि तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद कहीं वो आतंक का पनाहगाह न बन जाए। अब वास्तविकता में भी उसकी झलक दिखाई देने लगी है। काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान अफगानिस्तान में अगली सरकार की तैयारी में लगा है, वहीं उसके नेता अब वापसी करने लगे हैं। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद मुल्ला बरादर अन्य नेताओं के साथ वापस लौट आया तो वहीं तालिबान की माने तो उसका सुप्रीम लीडर हिबतुल्ला अखुंदजादा भी कंधार में ही है और जल्द की उसकी सार्वजनिक तौर पर उपस्थिति भी होगी। अब अफगानिस्तान में ओसामा बिन लादेन का पूर्व सहयोगी और कभी उसका सिक्योरिटी चीफ भी लौट आया है।
लादेन का पूर्व सहयोगी लौटा
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद कभी ओसामा बिन लादेन का सिक्योरिटी चीफ रहा अमीन उल हक लौट आया है। अमिन उल हक अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत लौटा है। वो तोराबोरा में लादेन का सुरक्षा प्रमुख था। अमीन 80 के दशक में लादेन के करीब आया था और अब एक बार फिर वो अफगानिस्तान लौट आया है।
तालिबान और अलकायदा के बीच का नेक्सेस अमीन तालिबान और अलकायदा के बीच की चेन का काम करता है। नंगरहार का इलाका अमीन का पैदाइशी इलाका माना जाता है। पेशे से फिजीशियन डॉक्टर बताया जाता है। ओसामा बिन लादेन और अल जवाहिरी के ब्लैक गार्ड्स कमांडो का मुखिया था। इसका मतलब साफ है कि तालिबान और अलकायदा का नेक्सेस अमीन उल हक के जरिये उजागर हो गया।
तालिबान का दावा, 9/11 के हमलों में लादेन का हाथ नहीं तालिबान ने कहा है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में हुए आतंकवादी हमलों में शामिल था। तालिबान का दावा है कि संयुक्त राज्य अमरीका पर हुए 11 सितंबर के आतंकी हमले में ओसामा बिन लादेन का कोई लेनादेना नहीं था। तालिबान का कहना है कि अमरीका ने लादेन का नाम अफगानिस्तान में युद्ध छेड़ने के बहाने उपयोग में लिया।