उत्तराखंड विधानसभा सत्र में 17 लक्ष्यों पर हुई चर्चा
विधानसभा सत्र के आखिरी दिन सदन में संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से निर्धारित विकास के 17 सतत विकास लक्ष्यों पर सदस्यों ने चर्चा की। इस दौरान सदस्यों ने महत्वपूर्ण बिंदुओं पर राज्य के विकास और संभावनाओं पर विचार व्यक्त किए। इस दौरान प्रदेश के विकास के लिए आपसी सहयोग पर जोर दिया गया।
सदन में सतत विकास के तहत भुखमरी और गरीबी को खत्म करने, लोगों को बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने, सभी देशों में शांति और न्याय का वातावरण स्थापित करने, असमानता को मिटाने, पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। चर्चा में भाग लेते हुए विधायक करण माहरा ने कहा कि कोरोनाकाल में जब लोगों के पास कोई काम नहीं था, तब ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा ने लोगों को बड़ी मदद पहुंचाई। इस योजना को मुख्य सड़कों से गांव तक जानी वाले सड़कों को बनाए जाने की छूट मिलनी चाहिए।
इसके अलावा और भी दूसरे काम हैं, जो मनरेगा में किए जा सकते हैं। इस योजना को लघु और कुटीर उद्योग से भी जोड़ा जा सकता है। नहरों को बनाने की छूट पंचायत के स्तर पर मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों की तनख्वाह डेढ़ लाख से शुरू होनी चाहिए, तभी वह सरकारी सेवा में आना चाहेंगे। इसके अलावा उन्होंने दूसरे विभागों में भी कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाए जाने पर जोर दिया।
विधायक सुरेश राठौर ने चर्चा में भाग लेते हुए पहाड़ों में लघु उद्योगों की स्थापना पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मनरेगा को सिर्फ रोजगार नहीं विकास की योजनाओं के साथ जोड़ना होगा। विधायक बलवंत सिंह भौर्याल ने राज्य में खेती के लिए हिमाचल का मॉडल अपनाने की बात कही।
विधायक महेंद्र भट्ट ने कहा कि सड़कें उत्तराखंड के विकास की रीढ़ हैं, इसलिए जिन गांवों में अभी तक सड़कें नहीं पहुंची हैं, वहां सड़कें पहुंचाने पर जोर दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने जरूरतमंदों को सहायता पहुंचाने के लिए संपन्न लोगों से विभिन्न योजनाओं में मिलने वाली सब्सिडी छोड़ने पर जोर दिया। इसके साथ ही उत्तराखंड के जल की मार्केटिंग की जानी चाहिए। लोग आज बोतलबंद पानी पीना पसंद करते हैं, जबकि हमारे यहां शुद्ध पानी के अथाह स्रोत हैं। इसके अलावा उन्होंने संस्कृति के प्रचार-प्रसार, वनों में फल वाले पौधे लगाने, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गाइडों को प्रशिक्षण देने, योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने की बात कही।
विधायक संजय गुप्ता ने रोजगार परक शिक्षा को बढ़ावा दिए जाने की बात कही। विधायक विनोद चमोली ने कहा कि हम हमेशा हर बात में हिमाचल मॉडल की बात करते हैं, ऐसा कुछ क्यों नहीं करते कि लोग उत्तराखंड मॉडल की बात करें। राज्य में स्वैच्छिक नहीं, जरूरी चकबंदी होनी चाहिए। भू कानून से पहले भू प्रबंधन पर बात होनी चाहिए। पर्यटन अवस्थापना विकास पर बात होनी चाहिए।