छत्तीसगढ़ कांग्रेस का झगड़ा दिल्ली हाई कमान तक पहुंचा
कांग्रेस की विचारधारा में विश्वास करने वाले लोग कांग्रेसी कहे जाते हैं जिसका इतिहास पौने 200 वर्षों का रहा है। पार्टी इतनी बड़ी थी कि घटकों का होना स्वभाविक था। गाँधी और सुभाष चन्द्र बोस के बीच भी अंतर द्वंद थे लेकिन 2014 और 2019 के चुनाव में भारी हार के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं ने बड़ी-बडी कोशिशें की प्रतिफल पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी। सत्ता की लोलुप्ता ने नेताओं की आंखों में चमड़ी जमा दी है। आपस में ही एक-दूसरे के प्रति घोर विद्वेश की भावना ने पार्टी और आलाकमान की छवि को तार तार कर दिया है। सबसे पहले आलाकमान ने राजस्थान के पार्टी विद्रोह को शांत किया फिर पंजाब की समस्या को सुलझाया। 2022 के आम चुनाव को लेकर उत्तराखण्ड को भी सुलझाया और इसी बीच छत्तीसगढ़ की समस्या ने जनमानस को झकझोड़ कर रख दिया है। देश संक्रमण के दौर से गुजर रहा है और नेता अपनी छवि चमकानें में लगे हुये हैं। प्रस्तुत है पूरा घटना क्रम।
छत्तीसगढ़ रायपुर में मुख्यमंत्री पद के लिए ढाई-ढाई वर्ष के फॉर्मूले की चर्चा के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सोमवार शाम कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात करने के लिए दिल्ली रवाना हो गए। वहीं, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी दिल्ली में ही मौजूद हैं। मुख्यमंत्री बघेल सोमवार की शाम विमान से राष्ट्रीय राजधानी के लिए रवाना हुए। बघेल ने रायपुर के स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत अन्य नेताओं से मुलाकात करेंगे। हालांकि, उन्होंने बैठक के विषय को लेकर कोई जानकारी नहीं दी।
मुख्यमंत्री ने कहा बहुत दिनों बाद दिल्ली जाना हो रहा है, इससे पहले हिमाचल प्रदेश गया था वीरभद्र जी की अंत्येष्टि में सोनिया (गांधी) जी के प्रतिनिधि के रूप में। उस दौरान प्रियंका (गांधी वाद्रा)जी से मुलाकात हुई थी। उसके बाद जाना नहीं हुआ था, अभी राहुल जी के साथ बैठक है। बघेल ने बताया कि वह इस दौरान अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल और छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पूनिया से भी मुलाकात करेंगे। उनसे पूछा गया कि क्या इस दौरान सिंहदेव भी बैठक में मौजूद रहेंगे तब उन्होंने कहा कि राहुल जी जिसको बुलाएं। मुझे तो वहीं से सूचना मिली है। इधर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी दिल्ली में मौजूद हैं।
सिंहदेव भी सोमवार की दोपहर भोपाल से नयी दिल्ली पहुंचे हैं। सिंहदेव ने बातचीत के दौरान कहा कि वह दिल्ली में ही हैं तथा उन्होंने छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पूनिया को इसकी जानकारी दे दी है। उन्हें पूनिया के संदेश का इंतजार है। उम्मीद है कि सुबह तक इसकी (बैठक के संबंध में) जानकारी दे दी जाएगी। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार ने इस वर्ष अपना ढाई वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है। अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि मंगलवार को दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बघेल के साथ होने वाली बैठक के दौरान मुख्यमंत्री पद के बंटवारे के फॉर्मूले पर चर्चा हो सकती है। राज्य में दिसंबर 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद बघेल तथा राज्य के वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार थे।
राज्य में नयी सरकार के गठन के बाद से ही मुख्यमंत्री पद के लिए ढाई वर्ष के फॉर्मूले की चर्चा शुरू हो गई थी। जब 17 दिसंबर वर्ष 2018 को बघेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब सिंहदेव और साहू ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी। राज्य में तब से चर्चा है कि बघेल और सिंहदेव के मध्य ढाई-ढाई वर्ष मुख्यमंत्री पद के लिए सहमति बनी है। इससे पहले राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए कथित फॉर्मूले को लेकर मुख्यमंत्री बघेल से सवाल किया गया था तब उन्होंने कहा था कि अगर पार्टी आलाकमान आदेश करेगा तब वह पद खाली कर देंगे। सिंहदेव इस महीने की शुरुआत में दिल्ली में थे और कथित रूप से उन्होंने कुछ वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की थी। इधर राज्य में मुख्यमंत्री पद के कथित फॉर्मूले की चर्चा के बीच वरिष्ठ नेताओं के बीच तल्खी भी देखी जा रही है।
बीते 27 जुलाई को जब छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा था तब सिंहदेव ने यह कहते हुए सदन छोड़ दिया था कि वह सदन की कार्यवाही में तब तक शामिल नहीं होंगे जब तक राज्य सरकार एक विधायक द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों पर स्पष्ट जवाब नहीं देती है। कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह ने आरोप लगाया था कि उनके काफिले पर सरगुजा जिले में सिंहदेव के इशारे पर हमला किया गया था। उन्होंने मंत्री से जान को खतरा होने का भी आरोप लगाया था। बाद में जब सरकार ने सिंहदेव पर लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया और विधायक सिंह ने खेद जताया तब सिंहदेव विधानसभा की कार्यवाही में शामिल हुए।