जाति जनगणना के मुद्दे पर नीतीश मिलेंगे मोदी से
जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” जैसे-जैसे यूपी विधानसभा चुनाव की मियाद नजदीक आ रही है इस नारे की गूंज और प्रखर होती जा रही है। मोदी सरकार की ओर से ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने की कवायद से एक के बाद एक उठाए गए कदमों के बाद एक पुराना जिन्न बोतल से बाहर निकल आया। विपक्षी पार्टियों ने सवाल उठाया कि सरकार जिस ओबीसी कल्याण की बात कर रही है उसके लिए जाति आधारित जनगणना कब करवा रही है। जाति आधारित जनगणना को लेकर केंद्र सरकार पर लगातार दवाब विपक्षी पार्टियों समेत जेडीयू जैसे सहयोगियों की तरफ से बनाया जा रहा है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने ताजा बयान में कहा है कि देश भर में जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर 10 दलों के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। इस दौरान वे साल 2021 में प्रस्तावित जनगणना को जातियों के आधार पर कराने की अपील करेंगे।सीएम नीतीश कुमार की ओर से कहा गया है कि जाति आधारित जनगणना पूरे देश में होने को लेकर प्रधानमंत्री से इस बात की अपील करेंगे। अगर इस पर बात बन जाति है तो सही है। लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो वे राज्य में लोगों से बातचीत कर जातीय जनगणना करवा सकते हैं। लेकिन ये तो बाद की बात है। पहले तो वे यही चाहेंगे कि केंद्रीय स्तर से जातीय जनगणना हो जाए।
जाति भारतीय समाज की एक सच्चाई है, जिसकी कोई अनदेखी नहीं कर सकता। हमारे समाज और राजनीति में जाति से ही तमाम चीजें तय होती हैं। जब मंडल कमीशन की रिपोर्ट आई थी, और 90 के दशक में उसे लागू कराने की बात हुई तो उसके बाद देश में खूब बवाल मचा था। यही वजह है कि कोई भी केंद्र सरकार चाहे वह 2011 में मनमोहन सिंह की सरकार रही हो या 2014 से अभी तक देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार हो। जाति आधारित जनगणना नहीं कराना चाहती। हालांकि यूपीए के जमाने में जब जाति आधारित जनगणना की बात छिड़ी थी तो उस वक्त बीजेपी की ओर से खुलकर इसका समर्थन किया गया था।