सामुदायिक केंद्र में किया स्वच्छता कार्यक्रम का आयोजन

 

देहरादून,। भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून के पादप विज्ञान प्रभाग द्वारा 16 से 31 दिसंबर तक चल रहे स्वच्छता पखवाड़े के तहत 20 दिसंबर को ग्राम मेदिनीपुर-बदरीपुर के सामुदायिक केंद्र, विकासनगर, देहरादून में एक स्वच्छता कार्यक्रम का आयोजन किया। स्वच्छता जागरूकता दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया जिसमे कुल 7 वैज्ञानिकांे/अधिकारियों एवं कर्मचारियों व 50 से अधिक ग्रामीणों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. जे. एम. एस. तोमर प्रभागाध्यक्ष पादप विज्ञान ने विभिन्न गतिविधियो पर “पौधरोपण, सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को कम करना, गंदे पानी की रिसाइकिं्लग, जल संचयन, कृषि/बागवानी अनुप्रयोग/किचन गार्डन“ पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस सत्र में पौधारोपण विषय पर डॉ. तोमर द्वारा एक प्रेरणादायक व्याख्यान दिया गया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि पौधारोपण केवल पर्यावरण संरक्षण का माध्यम नहीं, बल्कि मानव जीवन के लिए शुद्ध वायु, जल संरक्षण और जैव विविधता को बनाए रखने का आधार है। डॉ. तोमर ने बताया कि अधिक से अधिक पौधे लगाने से जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है तथा आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सकता है। उन्होंने पौधों के चयन, रोपण की सही विधि और उनके संरक्षण पर भी विशेष जोर दिया।
अपने व्याख्यान के अंत में डॉ. तोमर ने सभी से आह्वान किया कि वे केवल पौधे लगाकर ही न रुकें, बल्कि उनकी नियमित देखभाल कर उन्हें वृक्ष बनने तक संरक्षण प्रदान करें। डॉ. राजेश कौशल द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को कम करने, गंदे पानी की रिसाइकिं्लग तथा जल संचयन विषय पर एक प्रेरणादायक व्याख्यान दिया गया। अपने व्याख्यान में उन्होंने बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है, इसलिए इसके विकल्प अपनाना और दैनिक जीवन में प्लास्टिक का न्यूनतम उपयोग करना आवश्यक है। उन्होंने गंदे पानी की रिसाइकिं्लग पर जोर देते हुए कहा कि उचित उपचार एवं पुनः उपयोग से जल संसाधनों पर दबाव कम किया जा सकता है तथा कृषि, बागवानी एवं अन्य कार्यों में इसका प्रभावी उपयोग संभव है। साथ ही, जल संचयन (रेन वाटर हार्वेसिं्टग) को भविष्य की जल सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने घरों, कार्यालयों और संस्थानों में वर्षा जल संग्रहण संरचनाओं को अपनाने की अपील की। डॉ. कौशल ने अपने व्याख्यान के माध्यम से सभी को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होकर व्यवहारिक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। कृषि, बागवानी अनुप्रयोग एवं किचन गार्डन विषय पर डॉ. जे. जयप्रकाश द्वारा एक उपयोगी एवं प्रेरणादायक व्याख्यान दिया गया। अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि आधुनिक कृषि एवं बागवानी में वैज्ञानिक तकनीकों और नवाचारों के प्रयोग से उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ लागत को भी कम किया जा सकता है।
उन्होंने किचन गार्डन की उपयोगिता पर विशेष जोर देते हुए कहा कि सीमित स्थान में भी मौसमी सब्जियों और फलों का उत्पादन कर परिवार को ताजा, पौष्टिक एवं रसायन-मुक्त खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जा सकती है। साथ ही, उन्होंने जैविक खाद, जल की कुशल उपयोगिता, और फसल विविधीकरण जैसे अनुप्रयोगों की जानकारी दी। डॉ. जयप्रकाश ने अपने व्याख्यान के माध्यम से प्रतिभागियों को कृषि, बागवानी और किचन गार्डन को अपनाकर आत्मनिर्भरता, पोषण सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का समापन आसपास को स्वच्छ रखने और स्वच्छ एवं हरित भारत के निर्माण में योगदान देने की प्रतिज्ञा के साथ हुआ। इस अवसर पर डॉ. जे. एम. एस. तोमर, डॉ. राजेश कौशल, डॉ. विभा सिंघल, राकेश कुमार, मुदित मिश्रा व संतोषी रौथान आदि उपस्थित रहे।

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