जो ईश्वर-दर्शन तत्क्षण घट में करवाए वहीं है सच्चा गुरुः डॉ. सर्वेश्वर

देहरादून,। देहरादून के निरंजन फार्म में चल रही सात दिवसीय शिव कथा के षष्ठम दिवस दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक दिव्य गुरु आशुतोष महाराज के शिष्य कथा व्यास डॉ. सर्वेश्वर ने तारकासुर वध की गाथा को भक्तों के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि तारकासुर ने घोर तपस्या कर ये वरदान प्राप्त किया कि उसकी मृत्यु केवल शिवपुत्र के हाथों ही हो। तारकासुर ने सोचा कि शिव तो वैरागी हैं, सो वह तो विवाह नहीं करवाएंगे और न ही उनका कोई पुत्र होगा। यह सोच उसने खुद को अमर मान सब प्राणियों पर अत्याचार आरम्भ कर दिए। लेकिन शिव-पार्वती विवाह के उपरांत उनके यहाँ कुमार कार्तिकेय का जन्म हुआ। देवताओं ने कुमार को देवसेना का सेनापति घोषित कर तारकासुर पर चढ़ाई कर दी। कुमार कार्तिकेय ने बड़ी वीरता से तारकासुर का अंत कर उसके भय व आतंक के साम्राज्य को धराशायी कर दिया।
कथा का मर्म समझाते हुए स्वामी जी ने बताया कि ये तारकासुर प्रतीक है आज समाज में प्रतिष्ठित तथाकथित धर्मगुरुओं का। तारकासुर का शाब्दिक अर्थ है तारने वाला असुर। अर्थात् वो झूठे तथाकथित धर्मगुरु जो समाज को तारने के उपदेश तो देते हैं लेकिन न तो उन्होंने स्वयं ईश्वर का दर्शन किया है और न ही अपनी शरण में आए जिज्ञासुओं को ईश्वर दर्शन करवाने का सामर्थ्य रखते हैं। उलटा लोगों को अपने शब्दजाल में फँसा कर और भी भ्रमित कर देते हैं। आज ज़रूरत है पूर्ण गुरु की पहचान को प्राप्त करने की। पूर्ण गुरु वही होते हैं जो दीक्षा देते समय मस्तक पर हाथ रख तत्क्षण ही ईश्वर का दर्शन घट में करवा देते हैं। वो कोई मन्त्र, माला, नाम आदि नहीं देते अपितु ईश्वर के प्रकाश रूप को प्रकट कर देते हैं। ईश्वर दर्शन की इसी सनातन विद्या को शास्त्रों में ब्रह्मज्ञान कह कर संबोधित किया गया है। इसलिए हम भी ऐसे सद्गुरु की खोज करें जो हमें ब्रह्मज्ञान प्रदान करने का सामर्थ्य रखते हों, अगर कहीं न मिलें तो दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान में ईश्वर का तत्क्षण प्रत्यक्ष दर्शन करवाया जाता है। ईश्वर दर्शन के सच्चे जिज्ञासुओं का संस्थान स्वागत करता है। इस अवसर पर गुरु गीता के श्लोकों का गायन कर जनमानस को पूर्ण गुरु की पहचान से अवगत करवाया गया। कार्यक्रम में भी काफी संख्या में विशिष्ट अतिथिगण पधारे और उन्होंने कथा का रसपान करते हुए दीप प्रज्जवलित कर अपना योगदान प्रदान किया। जागर सम्राट पदमश्री प्रीतम भरतवाण प्रसिद्ध लोक गायक, डॉ० चिराग बहुगुणा नेत्ररोग विशेषज्ञ, डॉ० प्रियंका ई.एन.टी. सर्जन कोरोनेशन अस्पताल, कुसुम कण्डवाल अध्यक्ष उत्तराखंड महिला आयोग, कैलाश राम तिवारी सेवानिवृत्त चीफ फार्मेसी ऑफिसर दून मेडिकल कॉलेज व समाजसेवी, शीला तिवारी सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य एवं समाजसेवी, धनीराम तिवारी समाजसेवी के साथ-साथ अनेक क्षेत्रीय महानुभावों ने सपरिवार कथा पंडाल में कार्यक्रम का आनन्द लिया। समापन पर महामंगल आरती का आयोजन हुआ जिसमें उपरोक्त अतिथियों के साथ-साथ यजमानों द्वारा भी भाग लिया गया। तत्पश्चात प्रसाद का वितरण करते हुए षष्ठम दिवस की भगवान शिव कथा को विराम दिया गया।

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