अखिल भारतीय संस्कृत ज्ञान प्रतियोगिता-2025 के परिणाम घोषित

देहरादून,। संस्कृत के उत्थान हेतु अथक प्रयास करने वाले राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षाविद् स्व. डॉ. वाचस्पति मैठाणी की 76वीं जयन्ती पर आयोजित षष्ठ अखिल भारतीय संस्कृत ज्ञान प्रतियोगिता के परिणाम ऑनलाइन वेबिनार के माध्यम से घोषित किए गए। कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक मंगलाचरण एवं स्वस्तिवाचन से किया गया। डॉ. वाचस्पति मैठाणी के चित्र पर माल्यार्पण करने के उपरान्त अतिथियों का स्वागत एवं प्रतियोगिता के परिणामों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। आयोजक मंडल ने बताया कि इस अखिल भारतीय प्रतियोगिता में देश के विभिन्न प्रान्तों से लेकर विदेशों तक के प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। जिसे 11 लाख से भी अधिक लोगों ने देखकर अपनी सकारात्मकता दिखाई। प्रतियोगिता में गीता श्लोक उच्चारण, स्तोत्र गान, कालिदास कृत रघुवंश श्लोक उच्चारण, सुभाषित गान तथा संस्कृत नृत्य जैसे विविध आयाम सम्मिलित रहे। छोटे बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक, सभी आयु वर्ग के प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर स्मृति मंच के संरक्षक एवं उत्तराखंड के पूर्व शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि भारत वर्ष को विश्व गुरु माना जाता है इसलिए उसको परिलक्षित, पल्लवित व पुष्पित करना हम सब का उद्देश्य होना चाहिए। उत्तराखंड सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं जो संस्कृत के प्रचार प्रचार के लिए एक कदम आगे बढ़ाकर उत्कृष्ट कार्य कर रही है। आज संस्कृत भाषा के  ह््रास होने के कारण हमारी संस्कृति प्रवाहित हो रही है। अखिल भारतीय स्तर पर संस्कृत भाषा को अनिवार्य किया जाना चाहिए। तभी हमारी संस्कृति और परम्परा सुरक्षित रह पाएगी। जहां संस्कृत के विचार होते हैं वहां संस्कार पनपते हैं। नेल्सन मंडेला जी की अंतिम इच्छा थी मेरी मृत्यु के बाद जब मेरा अंतिम संस्कार किया जाए तो वेद मंत्रों के साथ किया जाए। हमारे वेदों में समस्त ज्ञान है जो विश्व के किसी भी ग्रंथ नहीं में नहीं है। संस्कृत पढ़ने वाले कभी हिंसक नहीं हो सकते हैं।  उन्होंने कहा कि डॉ. मैठाणी ने सब कुछ ना होते हुए भी संस्कृत के लिए बहुत कुछ करके दिखाया। इस प्रतियोगिता का मूल उद्देश्य भी संस्कृत भाषा का उन्नयन है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा के निदेशक डॉ. आनंद भारद्वाज ने कहा कि संस्कृत एक भाषा नहीं बल्कि एक जीवन शैली है। इसलिए देवभाषा संस्कृत के लिए किया गया प्रत्येक कार्य पुण्य का कार्य होता है। अतः संस्कृत को जीवित रखना हमारी जिम्मेदारी है। प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने वाले सभी प्रतिभागी बहुत ही भाग्यशाली है कि उन्होंने इस देववाणी का प्रचारदृप्रसार इतने अच्छे से किया। विलक्षण प्रतिभा के धनी डॉ. वाचस्पति मैठाणी ने भी संस्कृत के प्रचारदृप्रचार के लिए विद्यालयों एवं महाविद्यालयों की स्थापना की। वह समय-समय पर संस्कृत यात्राएं भी निकालते रहते थे। उनकी जयंती पर प्रतिवर्ष ऐसी प्रतियोगिता आयोजित करने के लिए समस्त आयोजक मंडल का हार्दिक धन्यवाद है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ. बाजश्रवा आर्य ने कहा कि जिस प्रकार वायुमंडल की शुद्धि के लिए हवन आवश्यक है, उसी प्रकार मन और समाज की शुद्धि के लिए संस्कृत का बोलना आवश्यक है और सोशल मीडिया की शुद्धि के लिए स्मृति मंच द्वारा आयोजित इस प्रकार की ऑनलाइन संस्कृत प्रतियोगिताएँ इस दिशा में सार्थक कदम हैं।
प्रतियोगिता के राष्ट्रीय संयोजक कैलाशपति मैठाणी ने श्रेष्ठता क्रम में 10 शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों के नाम की घोषणा की। जिसके अंतर्गत गीता श्लोक उच्चारण में  कुमारी संस्कृति प्रथम, वैभव कृष्ण मैठाणी द्वितीय, हिमांशु शर्मा तृतीय, इशिता भट्ट चतुर्थ, परिधि काण्डपाल पंचम, सुमेध ध्यानी षष्ठम, यश कैरवान करवान सप्तम, सानिध्य पुर्वाल अष्टम, सक्षम गौड़ नवम और अविरल नौटियाल दशम स्थान पर रहे।
स्तोत्र गान प्रतियोगिता में कार्तिकेय जगूड़ी प्रथम, मृणालिनी कांडपाल द्वितीय, हिमांशु राणा तृतीय, मंदीप सिंह चतुर्थ, अनुष्का पंचम, श्रेयांशी रस्तोगी षष्ठम, अर्चना सप्तम, प्रियंका अष्टम, प्रियांशी नवम एवं अंजली भारती दशम स्थान पर रहे। रघुवंश महाकाव्य श्लोक उच्चारण प्रतियोगिता में सामश्रवा आर्य प्रथम, कविता मैठाणी भट्ट द्वितीय, अंकित पांडे तृतीय, जगतनयन बहुखंडी चतुर्थ, राकेश प्रसाद सेमवाल पंचम, सुनील कुमार धस्माना षष्ठम, सुरेंद्र दत्त भट्ट सप्तम, डॉ. विजय कुमार त्यागी अष्टम, अंजू सेमवाल जमलोकी नवम एवं रेखा पटवाल राणा दशम स्थान पर रहे।
सुभाषित गान प्रतियोगिता में श्रीमती पुष्पा कनवासी प्रथम, दिनेश चन्द्र काण्डपाल द्वितीय, नंदन सिंह राणा तृतीय, सरोज डिमरी चतुर्थ, नरेश चंद्र उनियाल पंचम, माधव सिंह नेगी षष्ठम, डॉ. भगत सिंह राणा ‘हिमाद’ सप्तम, ब्रह्मानंद किमोठी अष्टम, संगीता बहुगुणा नवम एवं अनीता सती दशम स्थान पर रहे।
संस्कृत नृत्य प्रतियोगिता के कनिष्ठ वर्ग में उन्नति जोशी प्रथम, अद्विका राणा द्वितीय, श्रेया आर्य तृतीय, काव्य कांडपाल व दिव्यांशी खर्कवाल संयुक्त रूप से चतुर्थ, नियति सेमवाल पंचम, आकृति कोठारी षष्ठम, नियति कांडपाल सप्तम, आद्या पौडेल अष्टम, कनिष्का कोहली नवम एवं सौम्या बेरी दशम स्थान पर रहे। जबकि वरिष्ठ वर्ग में आस्था पुनेठा प्रथम, नंदिनी डंगवाल द्वितीय, एंजेल पटवाल तृतीय, सौम्या पुर्वाल चतुर्थ, उन्नति पंचम, अर्पिता कोहली षष्ठम, ज्योति सप्तम, तनीषा जयाड़ा अष्टम, काव्या काला नवम एवं मेघा दशम स्थान पर रहे।
राष्ट्रीय संयोजक अखिल भारतीय संस्कृत ज्ञान प्रतियोगिता कैलाशपति मैठाणी ने बताया कि प्रतियोगिता में यूनाइटेड किंगडम के लन्दन में रहने वाली प्रवासी भारतीय एंजेल पटवाल ने अपनी प्रतिभा का विशेष प्रदर्शन कर विजेता सूचि में जगह बनाई जबकि यूनाइटेड स्टेट ऑफ़ अमेरिका के नॉर्थ कैरोलाइना में रहने वाली औमघ्घ्न्शी डोभाल ने भी उत्साह पूर्वक प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि परिणाम अच्छा आया या नहीं, यह उतना महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इस प्रतियोगिता में भाग लेकर संस्कृत के प्रचार-प्रसार में योगदान देना ही सबसे बड़ी उपलब्धि है। यह सहयोग सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की रक्षा का सर्वोत्तम साधन है। निर्णायकों के मूल्यांकन तथा सोशल मीडिया पर प्राप्त जन-समर्थन के आधार पर विजेताओं का चयन किया गया। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठता क्रम में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियो को 28 अगस्त को देहरादून में विशेष सम्मान समारोह आयोजित कर पुरस्कृत किया जाएगा। कार्यक्रम में संगीता बहुगुणा, दीपा बिष्ट, मृणालिनी काण्डपाल, परिधि काण्डपाल ने देशभक्ति गीत, गीता पाठ, स्तोत्र गान आदि गाकर अपनी सुंदर प्रस्तुतियां प्रदान की। सम्पूर्ण कार्यक्रम का प्रभावशाली एवं व्यवस्थित संचालन डॉ. आशाराम मैठाणी द्वारा सम्पन्न किया गया। इस अवसर पर कमलापति मैठाणी, कविता मैठाणी, डॉ. हरिश्चंद्र गुरुरानी, डॉ. नवीन जसोला, डॉ. धीरज मैठाणी, डॉ. विजय कुमार त्यागी, डॉ. विद्या नेगी, डॉ. अंजू श्रीवास्तव, रोशनी देवी, संतोषी मैठाणी, आलोकपति मैठाणी ममता, शीला, दिव्या, सरला सहित अनेक विद्वान एवं प्रतिभागी ऑनलाइन जुड़े। कार्यक्रम का समापन जयतु संस्कृतम्, जयतु भारतम् के उद्घोष एवं शांति पाठ के साथ किया गया।

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